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Thursday, August 4, 2016

ज़रा ठहर जा जाती हुयी उम्र

*आज मुलाकात हुई*

*जाती हुई उम्र से*

*मैने कहा जरा ठहरो तो*

*वह हंसकर इठलाते हुए बोली*   

*मैं उम्र हूँ ठहरती नहीं*

*पाना चाहते हो मुझको*

*तो मेरे हर कदम के संग चलो*

*मैंने मुस्कराते हुए कहा*

*कैसे चलूं मैं बनकर तेरा हमकदम*

*संग तेरे चलने पर छोड़ना होगा*

*मुझको मेरा बचपन*

*मेरी नादानी, मेरा लड़कपन*

*तू ही बता दे कैसे समझदारी की*

*दुनियां अपना लूँ*

*जहाँ हैं नफरतें, दूरियां,*

*शिकायतें और अकेलापन*

*उम्र ने कहा*

*मैं तो दुनियां ए चमन में*

*बस एक “मुसाफिर” हूँ*

*गुजरते वक्त के साथ*

*इक दिन यूं ही गुजर जाऊँगी*

*करके कुछ आँखों को नम*

      _कुछ दिलों में यादें बन बस जाऊँगी...!!_